Mirza Ghalib Shayaris In Hindi | Famous Mirza Ghalib Shayari Images , Text in Hindi | Top Sher of Mirza Ghalib in Hindi
मिर्जा ग़ालिब की बेहतरीन शायरी हिंदी
Udne De In Parindo Ko Azaad Fiza Mein Ghalib,
Jo Tere Apne Honge, Wo Laut Aayenge Kisi Roz
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हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है।
Ghalib Shayari on Zindagi
हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है\
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Aah Ko Chahiye Ek Umar Asar Hone Tak,
Shamma Har Rang Mein Jalti Hai Sahar Hone Tak
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रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है
रंज मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं
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Ghalib Sad Shayari Collection
फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ मैं कहाँ और ये वबाल कहाँ !!
भीगी हुई सी रात में जब याद जल उठी,
बादल सा इक निचोड़ के सिरहाने रख लिया !!
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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
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हुई ताख़ीर तो कुछ बाइस-ए-ताख़ीर भी था
आप आते थे मगर कोई अनागीर भी था
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ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है
हुए तुम दोस्त जिस के दुश्मन उस का आसमाँ क्यूँ हो
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वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं!
कभी हम उमको, कभी अपने घर को देखते हैं
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Mirza Ghalib Shayari in Hindi 2 Lines
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त
लेकिन दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है
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मुहब्बत में उनकी अना का पास रखते हैं,
हम जानकर अक्सर उन्हें नाराज़ रखते हैं !!
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दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
हमको उनसे वफ़ा की उम्मीद है जो नहीं जानते वफ़ा क्या है ।।
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किसी की क्या मजाल थी हमे खरीद सकता गालिब,
हम तो खुद ही बिक गए खरीददार देखकर ।।
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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना
ज़रा कर ज़ोर सीने में कि तीरे-पुर-सितम निकले,
जो वो निकले तो दिल निकले, जो दिल निकले तो दम निकले !!
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इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया।
वर्ना हम भी आदमी थे काम के।।
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उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़।
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।।
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दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है।
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है।।
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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना।
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।।
दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई।
दोनों को इक अदा में रज़ामंद कर गई।।
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दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ।
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ।।
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मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का।
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले।।
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कितना ख़ौफ होता है शाम के अंधेरों में।
पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते।।
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हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे।
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और।।
Mirza Ghalib Shayari in Hindi 2 Lines in Hindi
दर्द जब दिल में हो तो दवा कीजिए।
दिल ही जब दर्द हो तो क्या कीजिए।।
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हाथों की लकीरों पे मत जा ऐ गालिब।
नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होते।।
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बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे
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Romantic Shayari of Mirza Ghalib
आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मिरे आगे
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अब जफ़ा से भी हैं महरूम हम अल्लाह अल्लाह
इस क़दर दुश्मन-ए-अरबाब-ए-वफ़ा हो जाना
अब जफ़ा से भी हैं महरूम हम अल्लाह अल्लाह
इस क़दर दुश्मन-ए-अरबाब-ए-वफ़ा हो जाना
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आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम
मजनूँ को बुरा कहती है लैला मिरे आगे
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Hindi Shayari of Mirza Ghalib
एक हंगामे पे मौक़ूफ़ है घर की रौनक़
नौहा-ए-ग़म ही सही नग़्मा-ए-शादी न सही
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Ghalib ki Shayari in Hindi
ए’तिबार-ए-इश्क़ की ख़ाना-ख़राबी देखना
ग़ैर ने की आह लेकिन वो ख़फ़ा मुझ पर हुआ
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Heart Touching Mirza Ghalib Shayari in Hindi
एक एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब
ख़ून-ए-जिगर वदीअत-ए-मिज़्गान-ए-यार था
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क़तरा अपना भी हक़ीक़त में है दरिया लेकिन
हम को तक़लीद-ए-तुनुक-ज़र्फ़ी-ए-मंसूर नहीं
आए है बेकसी-ए-इश्क़ पे रोना ‘ग़ालिब’
किस के घर जाएगा सैलाब-ए-बला मेरे बअ’द
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आज हम अपनी परेशानी-ए-ख़ातिर उन से
कहने जाते तो हैं पर देखिए क्या कहते हैं
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Ghalib Sher in Hindi
उम्र भर का तू ने पैमान-ए-वफ़ा बाँधा तो क्या
उम्र को भी तो नहीं है पाएदारी हाए हाए
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कुछ तो पढ़िए कि लोग कहते हैं
आज ‘ग़ालिब’ ग़ज़ल-सरा न हुआ
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उस अंजुमन-ए-नाज़ की क्या बात है ‘ग़ालिब’
हम भी गए वाँ और तिरी तक़दीर को रो आए
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अपनी हस्ती ही से हो जो कुछ हो
आगही गर नहीं ग़फ़लत ही सही
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अर्ज़-ए-नियाज़-ए-इश्क़ के क़ाबिल नहीं रहा
जिस दिल पे नाज़ था मुझे वो दिल नहीं रहा
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अपनी गली में मुझ को न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को क्यूँ तेरा घर मिले
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इश्क़ मुझ को नहीं वहशत ही सही
मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही
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अगर ग़फ़लत से बाज़ आया जफ़ा की
तलाफ़ी की भी ज़ालिम ने तो क्या की
काफ़ी है निशानी तिरा छल्ले का न देना
ख़ाली मुझे दिखला के ब-वक़्त-ए-सफ़र अंगुश्त
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद
मुझ से मिरे गुनह का हिसाब ऐ ख़ुदा न माँग
उस लब से मिल ही जाएगा बोसा कभी तो हाँ
शौक़-ए-फ़ुज़ूल ओ जुरअत-ए-रिंदाना चाहिए
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Ghalib ki Shayari in Hindi
काव काव-ए-सख़्त-जानी हाए-तन्हाई न पूछ
सुब्ह करना शाम का लाना है जू-ए-शीर का
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कभी नेकी भी उस के जी में गर आ जाए है मुझ से
जफ़ाएँ कर के अपनी याद शरमा जाए है मुझ से
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Mirza Ghalib Shayari in Hindi Pdf
काँटों की ज़बाँ सूख गई प्यास से या रब
इक आबला-पा वादी-ए-पुर-ख़ार में आवे
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कब वो सुनता है कहानी मेरी
और फिर वो भी ज़बानी मेरी
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कह सके कौन कि ये जल्वागरी किस की है
पर्दा छोड़ा है वो उस ने कि उठाए न बने
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कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज़
पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले
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आगही दाम-ए-शुनीदन जिस क़दर चाहे बिछाए
मुद्दआ अन्क़ा है अपने आलम-ए-तक़रीर का
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नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ-बाज़ू को।
ये लोग क्यूँ मेरे ज़ख़्मे जिगर को देखते हैं।।
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रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल।
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।।
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हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है।
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।।
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हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन।
दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़्याल अच्छा है।।
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कोई मेरे दिल से पूछे तिरे तीर-ए-नीम-कश को।
ये ख़लिश कहाँ से होती जो जिगर के पार होता।।
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बस-कि दुश्वार है हर काम का आसाँ होना।
आदमी को भी मयस्सर नहीं इंसाँ होना।।
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यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं।
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो।।
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Intezar Poetry Ghalib Hindi
Aata hai kaun kaun
tere gham ko baantne
Ghali tu apni maut ki
afwaah udda ke dekh!!!
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तुम न आए तो क्या सहर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई।
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई।।
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Galib Shayari best lines
Kuch is tarah maine zindgi ko aasaan kar diya
Kisi se "Maafi " mangli to kis ko "Maaf" kar diya...!
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ये हम जो हिज्र में दीवार-ओ-दर को देखते हैं।
कभी सबा को, कभी नामाबर को देखते हैं।।
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निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन।
बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले।।
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Kitna Dur Nikal Gaye Rishte Nibhate Nibate,
Khud Ko Kho Diya Humne Apno Ko Pate Pate,
Log Kahte Hai Dard Hai Mere Dil Me,
Aur Hum Thak Gye Muskurate Muskurate….
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Romantic Poetry of Mirza Ghalib
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा।
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है।।
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Mana ke dil hai ek magar pyaar bohot hai
jab pyaar horaha hai to inkaar bohot hai
her lamha saat rehne ko mein soch raha tha
wo keh rahi hai pyaar me itwar bohot hai…
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Ghalib Shayari on Ishq in Hindi
आया है बे-कसी-ए-इश्क पे रोना ग़ालिब,
किसके घर जायेगा सैलाब-ए-बला मेरे बाद।
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Roz Ye Dil Beqarar Hota Hai
Kaash K Tum Samajh Sakte K
Chup Rehnay Walo Ko B Kisi Se
Piyar Hota Hai…..
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Ghalib Shayari on love
आशिकी सब्र तलब और तमन्ना बेताब,
दिल का क्या रंग करूँ खून-ए-जिगर होने तक।
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Pyar Ghajal Hai GunGunane Ke Liye,
Pyar Nagma Hai Sunane Ke Liye,
Ye Vo Zajba Hai Jo Sabko Nahi Milta,
Kyoki Haunsla Chahiye Pyar Ko Nibhane Ke Liye…..
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Ghalib ki shayari Zindagi in Hindi
कितना खौफ होता हैं शाम के अंधेरों में ,
पूछ उन परिंदो से जिनके घर नहीं होते. . .!
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Mirza Galib ki Shero Shayari
Haajaro khwahisein aise ke har
Khawahish pe dum nikle
bahut nikle mere armaan
lekin phir bhi kam nikle..
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लोग कहते है दर्द है मेरे दिल में ,
और हम थक गए मुस्कुराते मुस्कुराते
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Ek to teri aawaz yaad aayegi,
Teri kahi huwi har baat yaad aayegi,
Din dhal jayega raat yaad aayegi,
Har lamha pahli mulakat yaad aayegi.
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हम ने मोहबतों कि नशे में आ कर उसे खुद बना डाला ,
होश तब आया जब उसने कहा कि खुद किसी एक का नहीं होता .
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Mirza Galib ki Shero Shayari in Hindi
ab laga tha
"Teer"
Tab itna dard na hua
"Galib"
Jakham ka ehsaas tab hua jab
"Kamaan"
Dekhi "Apno" ke
Haathon mein...!!!
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अभी मशरूफ हूँ काफी , कभी फुर्सत में सोचूंगा ,
के तुझको याद रखने में मैं क्या क्या भूल जाता हूँ .
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Bas….! Ek yahi Baat Uski Mujhe Achhi
Lagti Hai….
UDAAS Kerke Kehta Hai…’Naraz Toh Nahi
Ho Na….
Kitna Ajeeb Hai Uska Andaaz Mohabbat
Ka….
Roz Rula Ker Kehta Hai….’Apna Khayal
Rakhna’…
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हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है
तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है
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न सोचा मैंने आगे, क्या होगा मेरा हशर,
तुझसे बिछड़ने का था, मातम जैसा मंज़र!
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दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है
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Dukh de kar sawaal karte ho,
Tum bhi gaalib ! kamaal karte ho...
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हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
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Hui Muddat Ki Ghalib Mar Gaya Par Yaad Aata Hai,
Wo Har Ik Baat Par Kahna Ki Yoon Hota To Kya Hota.
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हुई मुद्दत कि 'ग़ालिब' मर गया पर याद आता है,
वो हर इक बात पर कहना कि यूँ होता तो क्या होता।
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Unke Dekhen Se Jo Aa Jati Hai Munh Par Raunaq,
Wo Samajhte Hain Ki Beemaar Ka Haal Achchha Hai.
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उनके देखने से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़,
वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है।
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Ishrat-E-Qatara Hai Dariya Mein Fana Ho Jaana,
Dard Ka Had Se Guzarana Hai Dava Ho Jaana.
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इशरत-ए-क़तरा है दरिया में फ़ना हो जाना,
दर्द का हद से गुज़रना है दवा हो जाना।
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Hazaron Khwahishen Aisi Ki Har Khwahish Par Dam Nikle,
Bahut Nikle Mere Armaan Lekin Phir Bhi Kam Nikle.
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हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पर दम निकले,
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले।
Hain Aur Bhi Duniya Mein Shayar Bahut Achchhe,
Kahte Hain Ki Ghalib Ka Hai Andaz-E-Bayaan Aur.
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हैं और भी दुनिया में शायर बहुत अच्छे,
कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और।
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Aah Ko Chahiye Ik Umr Asar Hote Tak,
Kaun Jeeta Hai Tiri Zulf Ke Sar Hote Tak.
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आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक,
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक।
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Mirza Ghalib all Shayari
Wo Aaye Ghar Mein Hamare, Khuda Ki Qudrat Hain,
Kabhi Ham Unko, Kabhi Apne Ghar Ko Dekhte Hain.
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वो आए घर में हमारे, खुदा की क़ुदरत हैं,
कभी हम उनको, कभी अपने घर को देखते हैं।
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Ham Ko Maloom Hai Jannat Ki Haqeeqat Lekin,
Dil Ke Khush Rakhane Ko Ghalib Ye Khayal Achchha Hai.
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गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के
हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के
खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के
इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया
वरना हम भी आदमी थे काम के
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Mirza Ghalib ishq shayari in Hindi
दिया है दिल अगर उस को , बशर है क्या कहिये
हुआ रक़ीब तो वो , नामाबर है , क्या कहिये
यह ज़िद की आज न आये और आये बिन न रहे
काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , क्या कहिये
ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है हमको फरेब
की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , क्या कहिये
समझ के करते हैं बाजार में वो पुर्सिश -ऐ -हाल
की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है , क्या कहिये
तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा का ख्याल
हमारे हाथ में कुछ है , मगर है क्या कहिये
कहा है किस ने की “ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन
सिवाय इसके की आशुफ़्तासार है क्या कहिये
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सादगी पर उस के मर जाने की हसरत दिल में है
बस नहीं चलता की फिर खंजर काफ-ऐ-क़ातिल में है
देखना तक़रीर के लज़्ज़त की जो उसने कहा
मैंने यह जाना की गोया यह भी मेरे दिल में है
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सबने पहना था बड़े शौक से कागज़ का लिबास
जिस कदर लोग थे बारिश में नहाने वाले
अदल के तुम न हमे आस दिलाओ
क़त्ल हो जाते हैं , ज़ंज़ीर हिलाने वाले
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Mirza Ghalib Famous Sher in Hindi
मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें
चल निकलते जो में पिए होते
क़हर हो या भला हो , जो कुछ हो
काश के तुम मेरे लिए होते
मेरी किस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या रब कई दिए होते
आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब ’
कोई दिन और भी जिए होते
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कोई उम्मीद बर नहीं आती
कोई सूरत नजर नहीं आती
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नींद क्यूं रात भर नहीं आती
आगे आती थी हाल-ए-दिल पे हंसी
अब किसी बात पर नहीं आती।
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हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और
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दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ
मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ
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ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
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फ़िक्र-ए-दुनिया में सर खपाता हूँ,
मैं कहाँ और ये बवाल कहाँ।
इश्क़ ने ग़ालिब निकम्मा कर दिया,
वरना हम भी आदमी थे काम के।
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मरते है आरज़ू में मरने की
मौत आती है पर नही आती,
काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुमको मगर नही आती ।
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कहाँ मयखाने का दरवाज़ा ‘ग़ालिब’ और कहाँ वाइज
पर इतना जानते है कल वो जाता था के हम निकले..
-मिर्जा ग़ालिब
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बना कर फकीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहल-ए-करम देखते है..
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पीने दे बैठ कर मस्ज़िद में ग़ालिब,
वरना वो जगह बता जहाँ खुदा नहीं।
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भीगी हुई सी रात में जब याद जल उठी,
बादल सा इक निचोड़ के सिरहाने रख लिया !!
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अब अगले मौसमों में यही काम आएगा,
कुछ रोज़ दर्द ओढ़ के सिरहाने रख लिया !!
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वो रास्ते जिन पे कोई सिलवट ना पड़ सकी,
उन रास्तों को मोड़ के सिरहाने रख लिया !!
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रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज,
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं !!
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हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है !!
जान तुम पर निसार करता हूँ,
मैं नहीं जानता दुआ क्या है !!
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अपनी गली में मुझ को
न कर दफ़्न बाद-ए-क़त्ल
मेरे पते से ख़ल्क़ को
क्यूँ तेरा घर मिले
गा़लिब
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आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक
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कुछ लम्हे हमने ख़र्च किए थे मिले नही,
सारा हिसाब जोड़ के सिरहाने रख लिया !!
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पड़िए गर बीमार तो कोई न हो तीमारदार
और अगर मर जाइए तो नौहा-ख़्वाँ कोई न हो
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हसद से दिल अगर अफ़्सुर्दा है गर्म-ए-तमाशा हो
कि चश्म-ए-तंग शायद कसरत-ए-नज़्ज़ारा से वा हो
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हम तो जाने कब से हैं आवारा-ए-ज़ुल्मत मगर,
तुम ठहर जाओ तो पल भर में गुज़र जाएगी रात !!
है उफ़ुक़ से एक संग-ए-आफ़्ताब आने की देर,
टूट कर मानिंद-ए-आईना बिखर जाएगी रात !!
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दैर नहीं हरम नहीं दर नहीं आस्ताँ नहीं
बैठे हैं रहगुज़र पे हम ग़ैर हमें उठाए क्यूँ
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हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है |
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जो कहे सच्चे मन से अपना दोस्त, ऐसा एक दोस्त चाहिए!
हमें तो ना ज़मीन, ना सितारे, ना चांद, ना रात चाहिए।
गालिब
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Jo Kagaz Ke Phoolon Mein Khushbu Dhund Jate Hain,
Jo Chhoti Chhoti Khushiyon Mein Bada Sukh Pate Hai,
Jo Apno Mein Farishte Dhund Lete Hai,
Aise Hi Log Zindagi Jee Lete Hai..
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बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल
कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का
ख़ंदा-हा-ए-गुल = फूलों की हंसी
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हाए उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ‘ग़ालिब’
जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गिरेबाँ होना
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हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और
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बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल
कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का
ख़ंदा-हा-ए-गुल = फूलों की हंसीहाए उस चार गिरह कपड़े की क़िस्मत ‘ग़ालिब’
जिस की क़िस्मत में हो आशिक़ का गिरेबाँ होना
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Meharbaan ho ke bula lu
mujho chaho jis waqt
mein gaya waqt nahi hu
ki phir aa bhi na saku...
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हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे
कहते हैं कि ‘ग़ालिब’ का है अंदाज़-ए-बयाँ और
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बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल
कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का
ख़ंदा-हा-ए-गुल = फूलों की हंसी
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यह जो हम हिज्र में दीवार-ओ -दर को देखते हैं
कभी सबा को कभी नामाबर को देखते हैं
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वो आये घर में हमारे , खुदा की कुदरत है
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं
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नज़र लगे न कहीं उसके दस्त-ओ -बाज़ू को
ये लोग क्यों मेरे ज़ख्म-ऐ -जिगर को देखते हैं
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तेरे जवाहीर-ऐ- तरफ ऐ-कुलाह को क्या देखें
हम ओज-ऐ-ताला- ऐ-लाल-ओ-गुहार को देखते हैं
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कोई उम्मीद बर नहीं आती।
कोई सूरत नज़र नहीं आती।
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मौत का एक दिन मुअय्यन है।
नींद क्यूँ रात भर नहीं आती।
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हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद,
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है।
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mirza ghalib sher hindi
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा।
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं।
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ज़िंदगी में तो वो महफ़िल से उठा देते थे।
देखूँ अब मर गए पर कौन उठाता है मुझे।
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रोने से और इश्क़ में बे-बाक हो गए।
धोए गए हम इतने कि बस पाक हो गए।
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mirza ghalib shayari on friendship
लफ़्ज़ों की तरतीब मुझे बांधनी नहीं आती “ग़ालिब”।
हम तुम को याद करते हैं सीधी सी बात है।
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मेरी क़िस्मत में ग़म गर इतना था
दिल भी या-रब कई दिए होते।
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आईना देख अपना सा मुँह ले के रह गए
साहब को दिल न देने पे कितना ग़ुरूर था
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Kaba Kis Muh Se Jaoge ‘Ghalib’
Sharm Tum Ko Magar Nahi Aati
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काबा किस मुँह से जाओगे ‘ग़ालिब’
शर्म तुम को मगर नहीं आती
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Ek din hamare annsoon humse pooch baithe, humey roz -roz kyon bulate ho,
Humne kaha hum yaad to unhe karte hain tum kyon chale aate ho.
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“Koi Mere Dil Se Pooche Tere Teer-e-Nim Kash Ko;
Yeh Khalish Kahan Se Hoti Jo Jigar Ke Paar Hota!”
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“Kahun Kis Se Main Ki Kya Hai, Shab-e-Gham Buri Bala Hai;
Mujhe Kya Bura Tha Marna Agar Ek Baar Hota;
Hue Mar Ke Jo Hum Ruswa,
Hue Kyon Na Gharq-e-Dariya;
Na Kabhi Janaza Uthta Na Kahin Mazaar Hota!”
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Apni Gali Mein Mujh Ko Na Kar Dafn Baad-e-Qatl;
Mere Pate Se Khalak Ko Kyon Tera Ghar Mile;
Saqi Gari Kee Sharm Karo Aaj Varna Hum;
Har Shab Piya Hi Karte Hain Mai Jis Kadar Mile!
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घर से बाहर कोलेज जाने के लिए वो नकाब मे
निकली…. सारी गली उनके पीछे निकली…
इनकार करते थे वो हमारी मोहबत से………. और
हमारी ही तसवीर उनकी किताब से निकली………
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“Dil-e-Nadaan Tujhe Hua Kya Hai;
Aakhir Is Dard Kee Dawa Kya Hai;
Hum Hain Mushtaaq Aur Wo Bezaar;
Ya Ilaahi Yeh Maajra Kya Hai!”
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Gham Se Marta Hun Ki Itna Nahi Duniya Mein Koi;
Ki Kare Taziyat-e-Mehr-o-Wafa Mere Baad;
Aaye Hai Bekasi-e-Ishq Pe Rona Ghalib;
Kiske Ghar Jayega Sailab-e-Bala Mere Baad!
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Dil Se Teri Nigah Jigar Tak Utar Gayi;
Dono Ko Ek Ada Mein Razamand Kar Gayi
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Woh Baada-e-Shabana Kee Sar-Mastiyan Kahan;
Uthiye Bas Ab Ke Lazzat-e-Khwab-e-Sehar Gayi;
Udti Phire Hai Khaak Meri Koo-e-Yaar Mein;
Baare Ab Aaye Hawa Hawas-e-Baal-o-Par Gayi!
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Tum N Aaye To kya Sahar N Huyi,
Han Magar Chain Se Basar N Huyi,
Mera Nala Suna Zamane Ne,
Ek Tum Ho Jise Khabar N Huyi..\
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two line shayari mirza ghalib
Ishq Par Zor Nahi Hai Yeh Woh Aatish ‘Ghalib’;
Ki Lagaye Na Lage Aur Bujhaye Na Bujhe!
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Best Ghalib Famous Lines
Jaate Hue Kehte Ho Qayamat Ko Milenge;
Kya Khoob Qayamat Ka Hai Goya Koi Din Aur!
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Mohabbat Mein Nahi Hai Farq Jeene Aur Marne Ka;
Usi Ko Dekh Kar Jeete Hain Jis Kafir Pe Dam Nikle!
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two line shayari mirza ghalib in hindi
Daag-e-Dil Se Bhi Roshni Na Mili;
Ye Diya Bhi Jala Ke Dekh Liya!
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Dil Se Mitna Tiri Agusht-e-Hinaai Ka Khyaal;
Ho Geya Gosht Se Naakhun Ka Judaa Ho Jaana!
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Etibar-e-Ishq Kee Khana-Kharaabi Dekhna;
Gair Ne Kee Aah Lekin Vo Khafaa Mujh Par Hue!
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Mohabbat Mein Nahi Hai Farq Jeene Aur Marne Ka;
Usi Ko Dekh Kar Jeete Hain Jis Kafir Pe Dum Nikle!
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Aata Hai Kaun Kaun Tere Gham Ko Baantne
Ghalib Tu Apni Maut Ki Afwaah Udaa Ke Dekh
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Main Aur Bazm-E-Mai Se Yun Tishna-Kaam Aaun
Gar Maine Kee Thi Tauba Saaqi Ko Kyaa Hua Tha
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Giri Is Tabassum Ki Bijali Ajal Par
Andhere Ka Ho Noor Mein Kya Guzara
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Justjoo Jis Gul Ki Tarpati Thi Ai Bulbul Mujhe
Khoobi-e-Qismat Se Aakhir Mil Gaya Woh Gul Mujhe
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Parwana Tujhse Karta Hai Ai Shama Pyaar Kyon
Ye Jaane Beqaraar Hai Tujh Par Nisar Kyon
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Qismat Buri Sahi Par Tabiyat Buri Nahin
Hai Shukr Ki Jagah Ki Shikayat Nahin Mujhe
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Zulm Hai Gar Na Do Sakun Ki Daad
Qahar Hai Gar Karona Mujhko Pyaar
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Ghalib Mirza ki Shayari
Hoga Koi Aisa Bhi Ki Ghalib Ko Na Jaane
Shayar Toh Wah Achchha Hai Par Badnaam Bahut Hai
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Ghalib Mirza Shayari Hindi
न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा।
कोई बताओ कि वो शोखे-तुंदख़ू क्या है।।
N Shole Me Ye Larishma N Barq Me Ye Adaa,
Koi Batao Ki Wo Shokhe-Tandukhu Kya Hain..
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Ghalib famous lines
रेख़्ते के तुम्हीं उस्ताद नहीं हो 'ग़ालिब'।
कहते हैं अगले ज़माने में कोई 'मीर' भी था।।
Rekhte Ke Tumhi Ustaad Nahi Ho "Galib",
Kahate Hai Agale Zamaane Me Koi Meer Bhi Tha
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Ghalib two line Hindi poetry
तेरे वादे पर जिये हम, तो यह जान, झूठ जाना।
कि ख़ुशी से मर न जाते, अगर एतबार होता।।
Tere Wade Par Jiye Ham, To Yah Jaan, Jhuth Jana,
Ki Khushi Se Mar N Jate, Agar Etbaar Hota..
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Ghalib Best Lines
रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ायल।
जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है।।
Rango Me Daudate Firane Ke Ham Nahi Kayal,
Jab Ankh Hi Se N Tapaka To Fir Lahu Kya Hai..
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यही है आज़माना तो सताना किसको कहते हैं।
अदू के हो लिए जब तुम तो मेरा इम्तहां क्यों हो।।
Yahi Hai Aazamana To Satana Kisko Kahate Hai,
Adu Ke Ho Liye Jab Tum To Mera Inthaan Kyu Ho..
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Ghalib Romantic Poetry
तुम न आए तो क्या सहर न हुई
हाँ मगर चैन से बसर न हुई।
मेरा नाला सुना ज़माने ने
एक तुम हो जिसे ख़बर न हुई।।
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ghalib ke sher in hindi
Tum N Aaye To kya Sahar N Huyi,
Han Magar Chain Se Basar N Huyi,
Mera Nala Suna Zamane Ne,
Ek Tum Ho Jise Khabar N Huyi..
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वो चीज़ जिसके लिये हमको हो बहिश्त अज़ीज़।
सिवाए बादा-ए-गुल्फ़ाम-ए-मुश्कबू क्या है।।
Wo Chiz Jisake Liye Hamako Ho Bahisht Azez,
Siwaye Bada-E-Gulfaam-e-E-Mushkabu Kya Hai..
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ghalib shayari on mohabbat
तेरे ज़वाहिरे तर्फ़े कुल को क्या देखें।
हम औजे तअले लाल-ओ-गुहर को देखते हैं।।
Tere Zawahire Tarfe Kal Ko Kya Dekh,
Ham Auze Tale Laal-O-Guhar Ko Dekhate Hai...
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Ghalib Poetry pdf
जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा।
कुरेदते हो जो अब राख जुस्तजू क्या है।।
Jula Hai Zism Janha Dil Bhi Jal Gaya Hoga,
Kudarate Ho Jo Ab Raakh Justaju Kya Hain..
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mirza ghalib 2 line shayari facebook
वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,
हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,
डरता है दिल उनकी रुसवाई से,
और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते |
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Two Line Shayari of Ghalib
उम्मीद तो हमने ये की थी,
मै राँझा तेरा, तू मेरी ही बने,
पर शायद खुदा को ये मजूर न था,
की तू मेरी तकदीर बने…
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Mirza Ghalib 2 Line Shayari
आँखों की आवाज़ कुछ और होती है
आंसुओ की आग कुछ और होती है
कौन चाहता है बिछड़ना अपने प्यार से
मगर किस्मत की बात कुछ और होती है
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2 line shayari ghalib hindi
आँखों की आवाज़ कुछ और होती है
आंसुओ की आग कुछ और होती है
कौन चाहता है बिछड़ना अपने प्यार से
मगर किस्मत की बात कुछ और होती है
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Ghalib Shayari Two Lines
तुझसे ही हर सुबह हो मेरी,
तुझसे ही हर शाम,
कुछ ऐसा रिश्ता बन गया तुझसे,
की हर सासो में सिर्फ तेरा ही नाम…
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ghalib best lines
तुझसे ही हर सुबह हो मेरी,
तुझसे ही हर शाम,
कुछ ऐसा रिश्ता बन गया तुझसे,
की हर सासो में सिर्फ तेरा ही नाम…
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Ghalib Shayari Status
घर से बाहर कॉलेज जाने के लिए
वो नकाब मे निकली,
सारी गली उनके पीछे निकली…
इनकार करते थे वो हमारी मोहब्बत से……….
और हमारी ही तस्वीर उनकी किताब से निकली………
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Shayari on Sharab by Ghalib in Hindi
वादे पे वो ऐतबार नहीं करते,
हम जिक्र मौहब्बत सरे बाजार नहीं करते,
डरता है दिल उनकी रुसवाई से,
और वो सोचते हैं हम उनसे प्यार नहीं करते।।
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Mirza Ghalib ki Tanhai Shayari
रोज़ ये दिल बेकरार होता है
काश तुम समझ सकते की
चुप रहने वालों को भी किसी से
प्यार होता है…..
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Mirza Ghalib Shayari on Love in Hindi
प्यार ग़ज़ल है गुनगुनाने के लिए,
प्यार नगमा है सुनाने के लिए,
ये वो जज्बा है जो सबको नहीं मिलता,
क्योंकि हौंसला चाहिए प्यार को निभाने के लिए…..
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Mirza Ghalib funny quotes
रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज।
मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं।।
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Ghalib Dard shayari
Ranj Se Khugar Hua Insaan To Mit Jata Hain Ranj,
Mushkile Mujh Par Padi Itani Ki Asaan Ho Gayi..